ईमानदार बन के देश सेवा का, बहुत जोश चड़ा था,
पर क्या यार ! कभी किताबी बातें भी सच होती है?
क्या ? ईमानदारी ! भाई वो क्या चीज होती है ?
यहाँ वहाँ के तिकड़म लगा के, माँ-बाप ख़ूब टैक्स बचाते हैं,
और फिर अपने बच्चो को भी, ये अद्भुत कला सिखाते हैं,
ऐसी शिक्षाएं ही तो घर और देश की लुटिया डुबोती हैं.
क्या ? ईमानदारी ! भाई वो क्या चीज होती है ?
बेइमानी से प्रभावित बुद्धिजीवियों का, ये तर्क जुबानी है,
ईमानदार बनके इस जग में क्या अपनी हँसी उड्वानी हैं,
बेईमानी की अठ्ठाहस के सामने, सिर झुका के रोती है.
कौन ? ईमानदारी ! भाई वो क्या चीज होती है ?
सत्याग्रह और अनशन करने से कब किसका भला हुआ है,
भ्रष्टाचार तो वो साप है जो हर आस्तीन में पला हुआ है,
इन सब शोर-शराबो पे तो, सरकार चद्दर तान के सोती है
क्या ? ईमानदारी ! भाई वो क्या चीज होती है ?
बेईमानी का विष प्रभाव, ऐसे ही बढता जायेगा,
पाप-घड़ा इन चोरो का कभी न भरने पायेगा,
लगता है अवतार लेने की अब, भगवान् की भी न हिम्मत होती है,
क्या ? ईमानदारी ! भाई वो क्या चीज होती है ?