रहा परिश्रमी अब तक मै, कर्मठता के गुण गाता था,
भ्रष्टाचार से भरे जगत में, इमानदार बन इतराता था !
अन्य देशो का सिस्टम देख, मन ही मन हर्षाता था,
अपने भारतवर्ष को मै भी, भ्रष्टाचार-मुक्त देखना चाहता था !!
सत्य वचन और परिश्रम, यही मेरे आदर्श रहे,
गीताम्रतम के अनमोल वचन, सदैव हृदयस्पर्श रहे !
कर्म करो फल छोड़ो प्रभु पर, यही वचन दोहराता था,
अपने भारतवर्ष को मै भी, भ्रष्टाचार-मुक्त देखना चाहता था !!
भ्रष्टाचार विरोधी आन्दोलन में, सदा मेरा सहयोग रहा,
'भ्रष्टाचार मिटाओ और देश बचाओ', जोर जोर ये खूब कहा !
रैलियों में जा जा के, 'अन्ना अन्ना' चिल्लाता था,
अपने भारतवर्ष को मै भी, भ्रष्टाचार-मुक्त देखना चाहता था !!
पर 'भ्रष्टाचार-मुक्ति' तो एक स्वप्न है, जो नित दिन देखा जाता हैं,
भ्रष्टाचार तो वो तेल है, जो सिस्टम की मशीन चलाता है !
अब वास्तविकता का बोध हो गया, कि मै व्यर्थ उम्मीद लगाता था,
अपने भारतवर्ष को मै भी, भ्रष्टाचार-मुक्त देखना चाहता था !!
समय के साथ चलना सीख के, अब मै भी भ्रष्ट बन जाऊँगा,
सब हथकंडे अपना के मैं, धन-दौलत खूब कमाऊंगा !
सहर्ष ही अपनाऊंगा वो सब, जिनको मै ठुकराता था,
अपने भारतवर्ष को मै भी, भ्रष्टाचार मुक्त देखना चाहता था !!
जरा रुको, और विचार करो, कही माहौल न ऐसा बन जाये,
देश का हर ईमानदार, कहीं मुझ जैसा न बन जाये !
वरन नहीं मिलेगा भविष्य में कोई, जो सच का मार्ग दिखायेगा,
और भ्रष्टाचारी देशो में, भारत अव्वल बन जायेगा !!
भ्रष्टाचार से भरे जगत में, इमानदार बन इतराता था !
अन्य देशो का सिस्टम देख, मन ही मन हर्षाता था,
अपने भारतवर्ष को मै भी, भ्रष्टाचार-मुक्त देखना चाहता था !!
सत्य वचन और परिश्रम, यही मेरे आदर्श रहे,
गीताम्रतम के अनमोल वचन, सदैव हृदयस्पर्श रहे !
कर्म करो फल छोड़ो प्रभु पर, यही वचन दोहराता था,
अपने भारतवर्ष को मै भी, भ्रष्टाचार-मुक्त देखना चाहता था !!
भ्रष्टाचार विरोधी आन्दोलन में, सदा मेरा सहयोग रहा,
'भ्रष्टाचार मिटाओ और देश बचाओ', जोर जोर ये खूब कहा !
रैलियों में जा जा के, 'अन्ना अन्ना' चिल्लाता था,
अपने भारतवर्ष को मै भी, भ्रष्टाचार-मुक्त देखना चाहता था !!
पर 'भ्रष्टाचार-मुक्ति' तो एक स्वप्न है, जो नित दिन देखा जाता हैं,
भ्रष्टाचार तो वो तेल है, जो सिस्टम की मशीन चलाता है !
अब वास्तविकता का बोध हो गया, कि मै व्यर्थ उम्मीद लगाता था,
अपने भारतवर्ष को मै भी, भ्रष्टाचार-मुक्त देखना चाहता था !!
समय के साथ चलना सीख के, अब मै भी भ्रष्ट बन जाऊँगा,
सब हथकंडे अपना के मैं, धन-दौलत खूब कमाऊंगा !
सहर्ष ही अपनाऊंगा वो सब, जिनको मै ठुकराता था,
अपने भारतवर्ष को मै भी, भ्रष्टाचार मुक्त देखना चाहता था !!
जरा रुको, और विचार करो, कही माहौल न ऐसा बन जाये,
देश का हर ईमानदार, कहीं मुझ जैसा न बन जाये !
वरन नहीं मिलेगा भविष्य में कोई, जो सच का मार्ग दिखायेगा,
और भ्रष्टाचारी देशो में, भारत अव्वल बन जायेगा !!
brilliant!
ReplyDeleteWOW Very well written
ReplyDeleteHOPE .. that should not be lost ... at any cost...
ReplyDeleteYeah, thats true. But sometimes system seems too frustrating ...
Deletemast likha hai.. baat sahi hai lekin.. imandar logon ko bhi thak haar ke shortcut apnana pad jaata hai...
ReplyDeleteNice thot and jotted down nicely.
ReplyDeleteMy god .. its so well written
ReplyDeleteVery well written Mayank.
ReplyDeletegood one ! It does run the system , but not for long , corruption is a like bubble waiting to burst . We should try not to get sucked into it . Naam aur shaan imandari se bhi kamaya jata hai ...
ReplyDeleteGood words Mayank ! But don't do what you said in the poem ! Beware of short-cuts :)
ReplyDeleteThanks,
-Hari
Brilliant!!
ReplyDeleteGreat thought represented by amazing beautiful words !!! Great going dear Friend
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