Tuesday, April 24, 2012

अपने भारतवर्ष को मै भी, भ्रष्टाचार-मुक्त देखना चाहता था

रहा परिश्रमी अब तक मै, कर्मठता के गुण गाता था,
भ्रष्टाचार से भरे जगत में, इमानदार बन इतराता था !
अन्य देशो का सिस्टम देख, मन ही मन हर्षाता था,
अपने भारतवर्ष को मै भी, भ्रष्टाचार-मुक्त देखना चाहता था !!

सत्य वचन और परिश्रम, यही मेरे आदर्श रहे,
गीताम्रतम के अनमोल वचन, सदैव हृदयस्पर्श रहे !
कर्म करो फल छोड़ो प्रभु पर, यही वचन दोहराता था,
अपने भारतवर्ष को मै भी, भ्रष्टाचार-मुक्त देखना चाहता था !!

भ्रष्टाचार विरोधी आन्दोलन में, सदा मेरा सहयोग रहा,
'भ्रष्टाचार मिटाओ और देश बचाओ', जोर जोर ये खूब कहा !
रैलियों में जा जा के, 'अन्ना अन्ना' चिल्लाता था,
अपने भारतवर्ष को मै भी, भ्रष्टाचार-मुक्त देखना चाहता था !!

पर 'भ्रष्टाचार-मुक्ति' तो एक स्वप्न है, जो नित दिन देखा जाता हैं,
भ्रष्टाचार तो वो तेल है, जो सिस्टम की मशीन चलाता है !
अब वास्तविकता का बोध हो गया, कि मै व्यर्थ उम्मीद लगाता था,
अपने भारतवर्ष को मै भी, भ्रष्टाचार-मुक्त देखना चाहता था !!

समय के साथ चलना सीख के, अब मै भी भ्रष्ट बन जाऊँगा,
सब हथकंडे अपना के मैं, धन-दौलत खूब कमाऊंगा !
सहर्ष ही अपनाऊंगा वो सब, जिनको मै ठुकराता था,
अपने भारतवर्ष को मै भी, भ्रष्टाचार मुक्त देखना चाहता था !!

जरा रुको, और विचार करो, कही माहौल न ऐसा बन जाये,
देश का हर ईमानदार, कहीं मुझ जैसा न बन जाये !
वरन नहीं मिलेगा भविष्य में कोई, जो सच का मार्ग दिखायेगा,
और भ्रष्टाचारी देशो में, भारत अव्वल बन जायेगा !!