Wednesday, September 12, 2012

क्या ? ईमानदारी ! भाई वो क्या चीज होती है ?

बुजुर्गो से सुना था, बचपन में किताबो में पड़ा था,
ईमानदार बन के देश सेवा का, बहुत जोश चड़ा था,
पर क्या यार ! कभी किताबी बातें भी सच होती है?
क्या ? ईमानदारी ! भाई वो क्या चीज होती है ?

यहाँ वहाँ के तिकड़म लगा के, माँ-बाप ख़ूब टैक्स बचाते हैं,
और फिर अपने बच्चो को भी, ये अद्भुत कला सिखाते हैं,
ऐसी शिक्षाएं ही तो घर और देश की लुटिया डुबोती हैं.
क्या ? ईमानदारी ! भाई वो क्या चीज होती है ?

बेइमानी से प्रभावित बुद्धिजीवियों का, ये तर्क जुबानी है,
ईमानदार बनके इस जग में क्या अपनी हँसी उड्वानी हैं,
बेईमानी की अठ्ठाहस के सामने, सिर झुका के रोती है.
कौन ? ईमानदारी ! भाई वो क्या चीज होती है ?

सत्याग्रह और अनशन करने से कब किसका भला हुआ है,
भ्रष्टाचार तो वो साप है जो हर आस्तीन में पला हुआ है,
इन सब शोर-शराबो पे तो, सरकार चद्दर तान के सोती है
क्या ? ईमानदारी ! भाई वो क्या चीज होती है ?

बेईमानी का विष प्रभाव, ऐसे ही बढता जायेगा,
पाप-घड़ा इन चोरो का कभी न भरने पायेगा,
लगता है अवतार लेने की अब, भगवान् की भी न हिम्मत होती है,
क्या ? ईमानदारी ! भाई वो क्या चीज होती है ?

Tuesday, April 24, 2012

अपने भारतवर्ष को मै भी, भ्रष्टाचार-मुक्त देखना चाहता था

रहा परिश्रमी अब तक मै, कर्मठता के गुण गाता था,
भ्रष्टाचार से भरे जगत में, इमानदार बन इतराता था !
अन्य देशो का सिस्टम देख, मन ही मन हर्षाता था,
अपने भारतवर्ष को मै भी, भ्रष्टाचार-मुक्त देखना चाहता था !!

सत्य वचन और परिश्रम, यही मेरे आदर्श रहे,
गीताम्रतम के अनमोल वचन, सदैव हृदयस्पर्श रहे !
कर्म करो फल छोड़ो प्रभु पर, यही वचन दोहराता था,
अपने भारतवर्ष को मै भी, भ्रष्टाचार-मुक्त देखना चाहता था !!

भ्रष्टाचार विरोधी आन्दोलन में, सदा मेरा सहयोग रहा,
'भ्रष्टाचार मिटाओ और देश बचाओ', जोर जोर ये खूब कहा !
रैलियों में जा जा के, 'अन्ना अन्ना' चिल्लाता था,
अपने भारतवर्ष को मै भी, भ्रष्टाचार-मुक्त देखना चाहता था !!

पर 'भ्रष्टाचार-मुक्ति' तो एक स्वप्न है, जो नित दिन देखा जाता हैं,
भ्रष्टाचार तो वो तेल है, जो सिस्टम की मशीन चलाता है !
अब वास्तविकता का बोध हो गया, कि मै व्यर्थ उम्मीद लगाता था,
अपने भारतवर्ष को मै भी, भ्रष्टाचार-मुक्त देखना चाहता था !!

समय के साथ चलना सीख के, अब मै भी भ्रष्ट बन जाऊँगा,
सब हथकंडे अपना के मैं, धन-दौलत खूब कमाऊंगा !
सहर्ष ही अपनाऊंगा वो सब, जिनको मै ठुकराता था,
अपने भारतवर्ष को मै भी, भ्रष्टाचार मुक्त देखना चाहता था !!

जरा रुको, और विचार करो, कही माहौल न ऐसा बन जाये,
देश का हर ईमानदार, कहीं मुझ जैसा न बन जाये !
वरन नहीं मिलेगा भविष्य में कोई, जो सच का मार्ग दिखायेगा,
और भ्रष्टाचारी देशो में, भारत अव्वल बन जायेगा !!