AAj Fir:
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आज फिर से गोलिया चली, और लोगो के चिल्लाने का शोर हुआ,
फिर जलते घरो की लपटों से धुआ घनघोर हुआ !
फिर से सड़के वीरान हैं, और घरो में मातम छाया है,
बर्बादी का शैतान जाग कर फिर से अंगड़ाया है!!
फिर कुछ धर्म के ठेकेदारों की आत्मा कुलबुलाई है,
जिन्होंने फिर जनता की मिथ्या धर्म भावना जगा दी है
और लोगो ने सेज के रखी सूखी कोमल भाईचारे की घास को,
फिर से नफरत की चिंगारी से आग लगा दी है
हे प्रभु ! ये फिर से कैसा नफरत का माहौल छा गया,
शान्ति के सूरज को फिर साम्प्रदायिक्ता का राहू खा गया !
अभी तो पुराने ही जख्म पूरे भर न पाए थे,
और फिर से नए दर्द देने दंगो को दानव आ गया !!
अरे लोगो ! जरा नजर उठा के देखो
एक गगन में सैकड़ो सितारे जगमगाते हैं,
सब साथ में रहते हैं, कभी न आपस हथियार उठाते हैं,
वो सब एक दुसरे का साथ सदा ऐसे ही निभाएंगे ,
और युगों-युगों तक फलक पे ऐसे ही जगमगायेंगे !!
लेकिन इंसान ने तो इंसानियत मतलब ही भुला दिया,
परस्पर प्रेम को जाने कौन सी चादर उड़ा के सुला दिया !
नफरत की तलवार लिए मौत का ऐसा तांडव किया,
कि खुद मौत को खून के आंसू रुला दिया !!
एक धर्मानुयायी को दूसरे से नफरत क्यों है,
एक दुसरे के जान पे उतारू, ऐसे सबकी मत क्यों हैं !!
सभी धर्मो का आदर करो, सब मिल के साथ रहो, ऐसा सब धर्म बताते हैं,
फिर क्यों हम आपस में, उसी धर्म के नाम पे हथियार उठाते हैं !!
तोड़ दो ये सम्प्रदायिकता की बेड़िया, और अपनी सोच को आजाद करो,
बापू ने पडाया जो अहिंसा का पाठ, आज फिर याद करो !!
बहा दो भारत भूमि में फिर धर्म-निरपेक्षता की पवित्र धारा,
और सब मिलके एक साथ लगाओ विश्व-बंधुत्व का नारा !!